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उत्तराखंड ने बना लिया यूनिफॉर्म सिविल कोड, महिलाओं को मिलेगा बराबरी का हक
Last Updated on June 30, 2023 by Vishal Rana
देहरादून। केंद्र की एनडीए सरकार (NDA Govt at Center) समान नागरिक आचार संहिता (Uniform Civil Code) पर मॉनसून सत्र में विधेयक लाने की तैयारी भले कर रही हो, लेकिन उत्तराखंड सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू करने की पूरी तैयारी कर ली है। इसमें सभी धर्मों की महिलाओं को समान अधिकार देने, बेटियों की शादी की उम्र 21 साल करने और बहुविवाह पर सभी धर्मों में पूर्ण रोक का प्रावधान किया गया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law) के तहत कोई भी मुसलमान पुरुष कुछ शर्तों के साथ 4 शादियां कर सकता है। लेकिन उत्तराखंड (Uttarakhand) में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के तहत किसी भी पुरुष और महिला को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही लिव इन रिलेशनशिप के शादी की तरह रजिस्ट्रेशन का प्रावधान भी किया रहा है। एक प्रस्ताव यह भी है कि परिवार की बहू और दामाद को भी अपने ऊपर निर्भर बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मेदार माना जाएगा।
पैतृक संपत्ति पर पुरुष और महिलाओं का बराबर हक
पहाड़ी राज्य में यह प्रस्ताव दिया जा सकता है कि किसी भी धर्म की महिला को संपत्ति में समान अधिकार मिलना चाहिए। इस नियम से मुस्लिम महिलाओं को अधिक अधिकार मिल सकेंगे। अब तक पैतृक संपत्ति के बंटवारे की स्थिति में पुरुष को महिला के मुकाबले दोगुनी संपत्ति मिलती है, लेकिन UCC में बराबर के हक की वकालत की जाएगी। इस तरह किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी। सूत्रों का कहना है कि पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र भी लड़कों की तरह ही 21 साल कर दी जाए।
दत्तक संतान को हक पर विवाद की आशंका
बहुविवाह पर रोक, बेटियों को संपत्ति पर बराबर अधिकार और शादी की उम्र में इजाफे का कुछ मुस्लिम संगठनों की ओर से विरोध हो सकता है। एक बड़ा फैसला गोद ली जाने वाली संतानों के अधिकारों को लेकर भी हो सकता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत दत्तक पुत्र या पुत्री को भी जैविक संतान के बराबर का ही हक मिलता है। लेकिन मुस्लिम, पारसी और यहूदी समुदायों के पर्सनल लॉ में बराबर हक की बात नहीं है। ऐसे में UCC लागू होने से गोद ली जाने वाली संतानों को भी बराबर का हक मिलेगा और यह अहम बदलाव होगा।
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