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G20 Summit: जी-20 में ‘आत्मनिर्भर खादी’ की ‘ग्लोबल ब्रांडिंग’ और प्रगति की नई कहानी

Manoj Kumar मनोज कुमार
Updated Wed, 20 Sep 2023 01:21 PM IST
सार

पिछले 9 वर्षो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में खादी ने चरखे पर ‘मौन क्रांति’ का जो ताना-बाना बुना है ये उसका जीता जागता प्रमाण है। मेरा मानना है कि हमारी राष्ट्रीय विरासत खादी की ये ‘ग्लोबल लाॅन्चिंग’ है।

Atmanirbhar Khadi India's Global Branding At G20 Summit 2023 Delhi
जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित प्रदर्शनी में ‘खादी स्टॉल’ भी विदेशी मेहमानों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहा। - फोटो : Social Media
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विस्तार
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आजादी के अमृतकाल में 9 से 10 सितंबर तक राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम से राजघाट तक ‘विश्व महाशक्तियों के महामंथन’ से जो अमृत निकला है उसने विश्व और मानव कल्याण के लिए कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं।



जी-20 शिखर सम्मेलन भारत के लिए वैश्विक मंच पर अपनी सनातन संस्कृति, वैचारिक विरासत, आर्थिक शक्ति को प्रदर्शित करने के साथ ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को वैश्विक पहचान दिलाने का एक अवसर था और साथ ही ये अवसर था विश्व के सामने एक ऐसे रोडमैप का खाका खींचने का जिससे वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को कम कर 'ग्लोबल वार्मिंग' को रोका जा सके।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस अवसर पर राष्ट्रपिता गांधी जी की विरासत और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की धरोहर खादी की जिस तरह से ‘ग्लोबल ब्रांडिंग’ की, स्वयं प्रदर्शनी में कारीगरों के बीच जाकर उनका उत्साहवर्धन किया, उसने संपूर्ण विश्व को ये संदेश दिया है कि भारत की खादी को अब ‘लोकल से ग्लोबल’ होने से कोई रोक नहीं सकता है।  

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10 सितंबर की सुबह राजघाट स्थित महात्मा गांधी के स्मारक पर विश्व नेता और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख जब पूज्य बापू को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो पूरी दुनिया एक अद्भुत तस्वीर की साक्षी बनी। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ‘खादी अंगवस्त्र’ से जी-20 शिखर सम्मेलन में आए सभी विदेशी नेताओं का स्वागत कर रहे थे, साथ ही वो पृष्ठभूमि में लगी साबरमती आश्रम की उस तस्वीर से भी विश्व नेताओं को परिचित करा रहे थे जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अविस्मरणीय विरासत है।

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आजादी के बाद खादी को ऐसा मान-सम्मान पहले कभी मिला हो मुझे याद नहीं, लेकिन पिछले 9 वर्षो में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में खादी ने चरखे पर ‘मौन क्रांति’ का जो ताना-बाना बुना है ये उसका जीता-जागता प्रमाण है।

मेरा मानना है कि हमारी राष्ट्रीय विरासत खादी की ये ‘ग्लोबल लांचिंग’ है और खादी की ग्लोबल लॉन्चिंग की इससे सुंदर, उत्तम और प्रभावशाली तस्वीर कोई हो भी नहीं सकती।

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‘खादी स्टॉल’ बना रहा आकर्षण का केंद्र 

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित प्रदर्शनी में ‘खादी स्टॉल’ भी विदेशी मेहमानों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहा। मैं स्वयं 8, 9 और 10 सितंबर को पूरे दिन वहां उपस्थित था। मैंने करीब से देखा कि खादी के प्रति देश ही नहीं, विदेश से आए मेहमानों में गजब का उत्साह है। विशेष रूप से ‘मोदी जैकेट’ के प्रति विदेशी मेहमानों का रुझान इस बात को प्रमाणित करता है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी वैश्विक स्तर पर कितने लोकप्रिय हैं और उनकी ‘ब्रांड शक्ति’ ने कैसे खादी को नेक्स्ट लेवल (Next Level) पर पहुंचा दिया है।

प्रदर्शनी की खास बात ये भी रही कि चरखे का ‘सजीव प्रदर्शन’ विदेशी मेहमानों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। कई मेहमानों ने चरखे पर सूत कातने का प्रशिक्षण लिया। कई ने चरखे के साथ सेल्फी लेकर भारत की इस विरासत को सदा के लिए अपने पास सजो लिया। ये वो तस्वीरें हैं जो आने वाली वैश्विक पीढ़ी के लिए भारत की ‘आत्मनिर्भर खादी’ का गौरव गान बनेगी।

 

Atmanirbhar Khadi India's Global Branding At G20 Summit 2023 Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री पिछले वित्त वर्ष में 1.34 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई। - फोटो : PTI
खादी की वैश्विक ब्रांडिंग भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और सतत् विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने में मदद करता है। यह खादी उद्योग के लिए भी एक प्रोत्साहन है, जो भारत के ग्रामीण क्षेत्र में लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री पिछले वित्त वर्ष में 1.34 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई, जबकि इसके माध्यम से 9.54 लाख से अधिक नए रोजगार का सृजन हुआ है।


खादी कपड़ों की बिक्री में पिछले 9 वर्षों में 450 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल और खादी कारीगरों के पारिश्रमिक में 233 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है कि ‘मोदी युग’ में ‘खादी क्रांति’ ने बड़े पैमाने पर भारतीय जनमानस को भीतर तक प्रभावित किया है और अब ‘नए भारत की नई खादी’ वैश्विक मंच पर आत्मनिर्भर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार है।  
 

खादी ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक

खादी हमारी विरासत है। खादी ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक है। खादी हमारी आन-बान और शान है। जी-20 शिखर सम्मेलन में गरीब की खादी विश्व नेताओं की शोभा बनी ये खादी जगत् के लिए अभिमान है।

सम्मेलन के लिए राजधानी दिल्ली को जिस तरह से  सजाया संवारा गया, वो नए भारत की तस्वीर है। पूरे कार्यक्रम के दौरान दिल्ली वालों ने जिस तरह से माननीय प्रधानमंत्री जी की अपील पर विदेशी मेहमानों का दिल खोलकर स्वागत किया, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।

देश के सबसे बड़े कार्यक्रम को सफल बनाने में जनता की ये भागीदारी देश के नेतृत्व पर उनके भरोसे को दर्शाती है। इस आयोजन ने दुनिया भर में ‘हाथ से करते और हाथ से बुने’ खादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसे एक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल वस्त्र के रूप में बढ़ावा देने में मदद की है।

खादी की वैश्विक ब्रांडिंग भारत और दुनिया के लिए सही सही समय पर, सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जी-20 में खादी की ग्लोबल ब्रांडिंग के लिए समस्त खादी जगत माननीय प्रधानमंत्री जी का ह्रदय से आभारी है।

नोट: लेखक खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष हैं।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदाई नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।
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