पिछले 9 वर्षो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में खादी ने चरखे पर ‘मौन क्रांति’ का जो ताना-बाना बुना है ये उसका जीता जागता प्रमाण है। मेरा मानना है कि हमारी राष्ट्रीय विरासत खादी की ये ‘ग्लोबल लाॅन्चिंग’ है।
आजादी के अमृतकाल में 9 से 10 सितंबर तक राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम से राजघाट तक ‘विश्व महाशक्तियों के महामंथन’ से जो अमृत निकला है उसने विश्व और मानव कल्याण के लिए कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस अवसर पर राष्ट्रपिता गांधी जी की विरासत और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की धरोहर खादी की जिस तरह से ‘ग्लोबल ब्रांडिंग’ की, स्वयं प्रदर्शनी में कारीगरों के बीच जाकर उनका उत्साहवर्धन किया, उसने संपूर्ण विश्व को ये संदेश दिया है कि भारत की खादी को अब ‘लोकल से ग्लोबल’ होने से कोई रोक नहीं सकता है।
10 सितंबर की सुबह राजघाट स्थित महात्मा गांधी के स्मारक पर विश्व नेता और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख जब पूज्य बापू को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो पूरी दुनिया एक अद्भुत तस्वीर की साक्षी बनी। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ‘खादी अंगवस्त्र’ से जी-20 शिखर सम्मेलन में आए सभी विदेशी नेताओं का स्वागत कर रहे थे, साथ ही वो पृष्ठभूमि में लगी साबरमती आश्रम की उस तस्वीर से भी विश्व नेताओं को परिचित करा रहे थे जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अविस्मरणीय विरासत है।
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आजादी के बाद खादी को ऐसा मान-सम्मान पहले कभी मिला हो मुझे याद नहीं, लेकिन पिछले 9 वर्षो में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में खादी ने चरखे पर ‘मौन क्रांति’ का जो ताना-बाना बुना है ये उसका जीता-जागता प्रमाण है।
मेरा मानना है कि हमारी राष्ट्रीय विरासत खादी की ये ‘ग्लोबल लांचिंग’ है और खादी की ग्लोबल लॉन्चिंग की इससे सुंदर, उत्तम और प्रभावशाली तस्वीर कोई हो भी नहीं सकती।
जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित प्रदर्शनी में ‘खादी स्टॉल’ भी विदेशी मेहमानों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहा। मैं स्वयं 8, 9 और 10 सितंबर को पूरे दिन वहां उपस्थित था। मैंने करीब से देखा कि खादी के प्रति देश ही नहीं, विदेश से आए मेहमानों में गजब का उत्साह है। विशेष रूप से ‘मोदी जैकेट’ के प्रति विदेशी मेहमानों का रुझान इस बात को प्रमाणित करता है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी वैश्विक स्तर पर कितने लोकप्रिय हैं और उनकी ‘ब्रांड शक्ति’ ने कैसे खादी को नेक्स्ट लेवल (Next Level) पर पहुंचा दिया है।
प्रदर्शनी की खास बात ये भी रही कि चरखे का ‘सजीव प्रदर्शन’ विदेशी मेहमानों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। कई मेहमानों ने चरखे पर सूत कातने का प्रशिक्षण लिया। कई ने चरखे के साथ सेल्फी लेकर भारत की इस विरासत को सदा के लिए अपने पास सजो लिया। ये वो तस्वीरें हैं जो आने वाली वैश्विक पीढ़ी के लिए भारत की ‘आत्मनिर्भर खादी’ का गौरव गान बनेगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री पिछले वित्त वर्ष में 1.34 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई, जबकि इसके माध्यम से 9.54 लाख से अधिक नए रोजगार का सृजन हुआ है।
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