पायलट पर कार्यवाही से पहले गहलोत की बगावत..!

259
आख़िर क्या होगा विधायकों का फीडबैक
आख़िर क्या होगा विधायकों का फीडबैक

सचिन पायलट पर कार्यवाही से पहले अशोक गहलोत की बगावत का मुद्दा उठा।रंधावा को दरकिनार कर अब कमलनाथ सक्रिय भूमिका में। पायलट और केसी वेणुगोपाल की भी मुलाकात। सचिन पायलट की ‘बगावत’ से कांग्रेस की बढ़ी टेंशन, राजस्थान में मुख्यमंत्री के खिलाफ माहौल का भी डर….! पायलट पर कार्यवाही से पहले गहलोत की बगावत..!

एस.पी.मित्तल

राजस्थान में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के 11 अप्रैल के अनशन को लेकर 14 अप्रैल को भी दिल्ली में कांग्रेस में हलचल तेज रही। बदली हुई परिस्थितियों में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को दरकिनार कर एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को सक्रिय किया गया है। ताकि राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तालमेल बैठाया जा सके। कमलनाथ भी नहीं चाहते हैं कि पायलट पर कोई कार्यवाही हो।

पायलट की अब तक कमलनाथ के साथ-साथ संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से मुलाकात हो चुकी है। राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत के साथ हेलीकॉप्टर घूमने और सत्ता का भरपूर मजा लेने वाले पंजाब के विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा ने 12 अप्रैल को ही कह दिया कि पायलट ने अनशन कर अनुशासनहीनता की है,इसलिए कार्यवाही होगी। रंधावा ने यह बात राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से मुलाकात के बाद कही। लेकिन 13 अप्रैल को रंधावा की मुलाकात जब राहुल गांधी और के.सी. वेणुगोपाल से हुई। तो रंधावा के पायलट विरोधी तेवर ठंडे पड़ गए।

राजस्थान में कांग्रेस के गलियारों में चीजें रहस्यमयी बनी हुई हैं। यह एक चुनावी राज्य भी है। यहां एक पॉलिटिकल थ्रिलर मूवी चल रही है, जिसमें सचिन पायलट और अशोक गहलोत प्रमुख भूमिका में हैं। वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई….? इस मुद्दे को लेकर पायलट ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी पर अब तक का सबसे तीखा हमला करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत के साथ अपनी लड़ाई में एक नया मोर्चा खोल दिया है। जैसा कि उन्होंने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया है। वे पिछली भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों पर पूर्ण निष्क्रिय हैं। लेकिन सही मायने में पायलट ने इसके जरिए यह कहने की कोशिश की है कि गहलोत की राजे से मिलीभगत है।

पायलट पर कार्यवाही करने से पहले 24 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई बगावत का मुद्दा उठा। पायलट समर्थक नेताओं का कहना रहा कि गहलोत ने तो विधायकों की समानांतर बैठक कर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को खुली चुनौती दी। इतना ही नहीं गहलात स्वयं को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए 80-90 विधायकों के इस्तीफे भी दिलवा दिए। इस खुली बगावत पर न तो गहलोत और न उनके किसी समर्थक पर कार्यवाही हुई। जिन तीन मंत्रियों को नोटिस दिया गया,वे आज भी सत्ता की मलाई खा रहे हैं। जब खुली बगावत और राष्ट्रीय नेतृत्व को चुनौती देने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो पायलट पर कार्यवाही क्यों की जाए….?

11 अप्रैल को पायलट ने तो पार्टी विरोधी कोई कार्य भी नहीं किया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर ही पायलट ने जयपुर में एक दिवसीय अनशन किया था। इसमें अनुशासनहीनता की कोई बात नहीं थी। गहलोत की बगावत का मुद्दा उठने के बाद ही रंधावा को भी संयम बरतने के निर्देश दिए गए हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार रंधावा की भूमिका का राजस्थान में निष्पक्ष नहीं मनाया गया, इसलिए अब एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी विधानसभा चुनाव में पायलट की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री गहलोत के जिद्दी रवैए से गांधी परिवार भी खुश नहीं है। गांधी परिवार की सहानुभूति पायलट के साथ ही मानी जा रही है। पायलट पर कार्यवाही से पहले गहलोत की बगावत..!