आईआईटी बीएचयू के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग शोधकर्ताओं ने पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी एडसार्बेंट (adsorbent) संश्लेषित किया है जो दूषित पानी से हेक्सावलेंट क्रोमियम जैसे जहरीले भारी धातु आयनों को हटा सकता है। हेक्सावलेंट क्रोमियम मानव में कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे विभिन्न प्रकार के कैंसर, लीवर और किडनी तथा लीवर की खराबी के साथ-साथ त्वचा की समस्याओं के लिए जिम्मेदार है। यह मौसमी के छिलके से संश्लेषित नया पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद है। यह अन्य पारंपरिक तरीकों की तुलना में अपशिष्ट जल से हेक्सावलेंट क्रोमियम को हटाने के लिए बहुत प्रभावी है और जलीय घोल से हेक्सावलेंट क्रोमियम में कम समय लेता है। धातु हटाने की प्रक्रिया के बाद यह सोखना आसानी से जलीय माध्यम से अलग हो सकता है। शोधकर्ताओं ने सिंथेटिक अपशिष्ट जल में इसकी हेक्सावलेंट क्रोमियम हटाने की क्षमता का परीक्षण किया है और संतोषजनक परिणाम पाए हैं। इस एडसार्बेंट की भारी धातु हटाने की दक्षता का परीक्षण अन्य भारी धातु आयनों जैसे लेड और कैडमियम के लिए भी किया गया था और इस एडसार्बेंट की भारी धातु हटाने की अच्छी दक्षता पाई गई। इस संबंध में स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. विशाल मिश्रा ने इस शोध को अंतर्राष्ट्रीय जर्नल “सेपरेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी” में प्रकाशित कर दिया है।
प्रो मिश्र बताते हैं कि विकासशील देशों में, जल जनित बीमारियां प्रमुख समस्या हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 3.4 मिलियन लोग, ज्यादातर बच्चे, पानी से संबंधित बीमारियों से मर जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र बालकोष (यूनिसेफ) के आकलन के अनुसार, प्रतिदिन 4000 बच्चे दूषित पानी के सेवन के कारण मर जाते हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट है कि 2.6 बिलियन से अधिक लोगों को स्वच्छ पानी तक पहुंच की कमी है, जो सालाना लगभग 2.2 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है, जिनमें से 1.4 मिलियन बच्चे हैं। पानी की गुणवत्ता में सुधार से वैश्विक जल-जनित बीमारियों को कम किया जा सकता है।
भारी धातुओं के कारण कैंसर दुनिया भर में एक गंभीर समस्या है। भारत और चीन जैसे विकासशील देशों को भारी धातु प्रदूषण का खतरा है। मानव से वन भारी धातु मुख्य रूप से त्वचा के संपर्क के माध्यम से, दूषित पानी का सेवन या खाद्य उत्पाद में संदूषण है। भारी धातुएं न केवल मानव शरीर में सामान्य बीमारियों का कारण बनती हैं, बल्कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का कारण भी बनती हैं। जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि बड़ी संख्या में भारतीय आबादी जहरीली धातुओं के घातक स्तर के साथ पानी पीती है, भारत में 153 जिलों के लगभग 239 मिलियन लोग पानी पीते हैं जिसमें अस्वीकार्य रूप से उच्चस्तर के जहरीले धातु आयन होते हैं। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक सेवन करने वाले पानी में जहरीली धातुओं जैसे लेड और कैडमियम से त्वचा, पित्ताशय, गुर्दे या फेफड़ों में कैंसर हो सकता है।
इस शोध का सामाजिक तथा आर्थिक पहलू: यह शोध पानी से भारी धातु आयनों को हटाने के लिए लागत प्रभावी, पर्यावरण के अनुकूल तरीके पर केंद्रित है। पी.फ्लोरिडा आसानी से उपलब्ध है, सस्ती है और खेती करने में आसान है।
इस बायोमास से आम आदमी को लाभ – सस्ती (सरल बनाने की विधियों और कम लागत वाले कच्चे माल के उपयोग के कारण)
– गैर-विषाक्त
– उपयोग करने में आसानी और उपयोग के बाद पृथक्करण के लिए ऊर्जा देने की आवश्यकता नहीं होती है।