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हाईकोर्ट ने लापरवाह ठेकेदार के बिल रोके, मंडी में सड़क का काम अधूरा छोड़ा
Last Updated on June 23, 2023 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने सरकारी ठेकेदार द्वारा समय पर काम न करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए उसके लम्बित बिलों को पास करने और देय राशि जारी करने पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने ठेकेदार को अपना पक्ष रखने को कहा है। कोर्ट ने ठेकेदार के पक्ष में पारित अंतरिम आदेशों को भी निरस्त कर दिया। मामले की सुनवाई 13 जुलाई को निर्धारित की गई है।
कोर्ट ने पाया कि ठेकेदार को मंडी जिला (Mandi District) में दोसा-रा-थारू-पुतलीफाल्ड, लोअर ब्रह्मफाल्ड झारेड गलू, चनौता सड़क निर्माण का काम मिला था। लेकिन अभी तक उसने अधिकांश कार्य शुरू नहीं किए गए और यदि शुरू किए तो उन्हें पूरा नहीं किया 4 सितंबर 2021 को कार्यकारी अभियंता लोक निर्माण विभाग (PWD), धर्मपुर मंडल, जिला मंडी ने उपरोक्त कार्य के लिए दोबारा से निविदाएं आमंत्रित की। इन निविदाओं को याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष चुनौती दी और इन्हें आमंत्रित करने वाले आदेश को खारिज करने की गुहार लगाई। 24 सितंबर 2021 को अदालत ने नई निविदाएं आमंत्रित करने वाले आदेशों पर रोक लगा दी थी।
66 ठेके ले रखे, कोई काम पूरा नहीं किया
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता ठेकेदार को 66 निर्माण कार्य के ठेके दिए गए हैं। इनमें से अधिकांश कार्य शुरू नहीं हुए हैं और यदि शुरू हुए हैं तो पूरे नहीं हुए हैं। अदालत ने लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिए है कि वह दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे, जिन्होंने ठेकेदार को पुराने कार्य पूरे न होने पर भी नए कार्य सौंपे। अदालत ने प्रधान सचिव (Principle Secretary) से पूछा है कि कार्य पूरा न करने की स्थिति में ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने अपने आदेशों की प्रति मुख्य सचिव, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग को भेजने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग से ठेकेदार को दिए गए 66 ठेकों की जानकारी तलब की है।
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